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निजधाम

                                                                                                      निजधाम वो है तू है , तू है वो है  वो है तू है, तू है वो है  ये है वो है, वो है ये है  ये है वो है, वो है तू है  ये ही तो वो है  वो ही तो ये है तू भी तो वो है  वो भी तो ये है  तू तेरा वो उसका  वो उसका ये सबका  ये तेरा तू तेरा  तू तेरा वो तेरा   ये सिखलाये तू समझे  तू समझे वो करवाए  वो करवाए ये जाने  तू तेरा है अनजाने  तू रोए उसको पाने  ये तो उसको लेके आये  तू ना अंदर ना बहार  यह देखे ये भी रोये  ये तड़पे तू ना समझे  तू ना समझे वो भी तड़पे  वो तो दया का सागर है  ये करुणा की छाया है...

मनूस कधी मानसला समाजालाच नाही ,

                                                         मनूस कधी मानसला समाजालाच नाही , मनूस कधी मानसला समाजालाच नाही , देव कधी त्याने मेलया शिवाय पहिलाच नाही.  मनूस कधी मानसला समाजालाच नाही , देव कधी त्याने मेलया शिवाय पहिलाच नाही.  जनमला येताच दृष्टीने डोळस म्हणून आंधळा,  षड्विकारांचा सदरा गणवेष म्हणून घातला.  मग आला मित्र शत्रू ,  आप्तेष्ट नि परिवाराचा संसार थाटला .  रोज नित्य नियमाने,  जाळे विणले कर्माचे.  शोधले देव मंदिरात,  रिक्त करण्या घडे पापाचे.  फोडी नारळ उधळे गुलाल,  भरे आईच्या ओट्या.  मंदिराचे पावित्र्य लुटून,  अंधश्रद्धा आहे हि, म्हणे हा खोट्या.  थोडी संकटातून  मिळालीकी उसंत,  झाला हा उन्मत्त.  नाही याला मती, कारण मिळेना बुद...